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हिन्दी दिवस पर विशेष

4.2
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भाषा विचारों की अभिव्यक्ति है जिसके माध्यम से हम एक दूसरे के मनोभावों को जानने और समझने का प्रयास करते हैं प्रत्येक देश में अनेक प्रकार की भाषाएँ बोली जाती हैं सबका अपना अलग साहित्य है सभी भाषाएँ ...

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शालिनी साहू

शब्दों का मूक हो जाना पीड़ा की अन्तिम परिणति है। घाव गहरे से नासूर बने जख़्म की अन्तिम परिणति है पूर्ण कहाँ होता है हर स्वप्न रसातल की शरण में वेदना के सिन्धु में गोते लगाना अधूरे स्वप्न की अन्तिम परिणति है । ढुलक जाये जब हजारों मोती पलकों की कोरों से स्वयं को समेट लेना तब जीवन की अन्तिम परिणति है। पगडण्डियों पर चलना कहाँ आसान जब पथ का सही ज्ञान न हो अनुमान के सहारे चलते जाना तब गन्तव्य की अन्तिम परिणति है । बिखरने में अस्तित्व है सिमटने का सामने था वह स्वप्न जो अब पलकों की कोरों में ही रह गया स्वयं को इस घड़ी से उबार लेना ही जीने की अन्तिम परिणति है। शालिनी साहू ऊँचाहार, रायबरेली (उ0प्र0)

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  • author
    Mamta Sinha
    15 డిసెంబరు 2019
    हमारी मातृभाषा, हमारी पहचान है, इस महत्व को समझने होंगे।। वर्तमान स्थिति में।। बहुत सुंदर, चर्चा होते रहे स्दैव।।
  • author
    N
    11 జనవరి 2021
    कोई ऐसी तकनीक बताओ जो शुद्ध हिंदी शुरुआत से सिखाती हो
  • author
    Jitendra Gudha
    02 డిసెంబరు 2017
    👍👍
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    Mamta Sinha
    15 డిసెంబరు 2019
    हमारी मातृभाषा, हमारी पहचान है, इस महत्व को समझने होंगे।। वर्तमान स्थिति में।। बहुत सुंदर, चर्चा होते रहे स्दैव।।
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    N
    11 జనవరి 2021
    कोई ऐसी तकनीक बताओ जो शुद्ध हिंदी शुरुआत से सिखाती हो
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    Jitendra Gudha
    02 డిసెంబరు 2017
    👍👍