पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव "फारस पुर" के रहने वाले रबीउल इस्लाम, जो खुली आँखों में सपनें देखा करते थे, और अपने सपनों को हक़ीक़त में बदलने के लिए रबीउल ने क़लम उठाया, और अपने सपने को शब्द देकर आप तक पहुँचाया, और आपने रबीउल के इस सपने के सफ़र को साकार करने का मौक़ा दिया, इसके लिए आभार।
प्रतिलिपि के अलावा रबीउल ने और भी तीन बेहतरीन कहानियां Amazon पर लिखा है
1, "मैं फिर भी जीना चाहूँगा"
2, "लव ओर कोम्प्रोमाईज़"
3, "ये मेरी वर्कर डे"
4, "कल्पना, हमारे देश की बेटी"
5, "I Would Still Alive"
ये सभी कहानियां आपका प्यारा सा दोस्त रबीउल इस्लाम ने लिखा है। आप amazon में सर्च करके प्राप्त कर सकते हैं, "धन्यवाद"
ईमेल : [email protected]
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