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रचना 2018-11-23 05:47

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रोज की तरह उस रात भी, 🌃 बदलते करवटो के बीच , रात के घने सन्नाटे और टिमटिमाती Night bulb के तले....💡 मै खुद से ही मन ही मन बातें किये जा रहा था! 😘 ___________________&&& " कल उसे ...

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लेखक के बारे में
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Akash Zee

बस इतना ही मेरा पहचान है की पहचान बनाना अभी बाकी है...!

समीक्षा
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  • author
    Prem Sagar
    17 फ़रवरी 2022
    बहुत ही बढ़िया है।मज़ा आ गया
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    Prem Sagar
    17 फ़रवरी 2022
    बहुत ही बढ़िया है।मज़ा आ गया