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हवसी निगाहें

4.4
926

कभी कभी इंसान खुली आँखों से भी सबकुछ ठीक से नहीं देख पाता।

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लेखक के बारे में
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madhu singh

बनारस की रहने वाली हूँ, पढ़ाई भी वहीं से हुई और लेखनी का शौक तो न जाने कब से मन में था, हालांकि शब्दों से खेलना आता नहीं ज्यादा पर शौक तो बड़ी चीज़ है ना साहेब ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Arvind Dwivedi
    23 अगस्त 2018
    बहुत ही सीख देनेवाली।
  • author
    Saandhya Choubey
    05 मार्च 2020
    बहुत सुंदर कहानी। धनलोलुपता इंसान को कहीं का नहीं छोड़ती और वह अपने सुविधा के अनुसार रिश्ते बनाता है और भुला देता है।
  • author
    Vijaylaxmi Vishwakarma
    29 मई 2020
    Dil kk chu dene wali kahani hai 👌👌👌👌👌
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    Arvind Dwivedi
    23 अगस्त 2018
    बहुत ही सीख देनेवाली।
  • author
    Saandhya Choubey
    05 मार्च 2020
    बहुत सुंदर कहानी। धनलोलुपता इंसान को कहीं का नहीं छोड़ती और वह अपने सुविधा के अनुसार रिश्ते बनाता है और भुला देता है।
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    Vijaylaxmi Vishwakarma
    29 मई 2020
    Dil kk chu dene wali kahani hai 👌👌👌👌👌