पुरी के इस नयनाभिराम सागर तट पर उस समय भोर का तारा डूबा नहीं था, अंगड़ाई लेती हुई अलसभोर, मेरे आस-पास पसरी हुई थी और उषा रानी अपने मस्तक पर लाल टीका लगने का इंतजार कर रही थी. मैं अपने पावों के नीचे ...
अनुपम, अद्वितीय, बेजोड़, अत्यंत प्रेरणादायक! मैडम, कहाँ से लायीं इतने अच्छे विचार इस कहानी को लिखने के लिए। वास्तव में इसे कहानी कहना इसका अपमान होगा। ये तो जीवन जीने का मंत्र है।
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अनुपम, अद्वितीय, बेजोड़, अत्यंत प्रेरणादायक! मैडम, कहाँ से लायीं इतने अच्छे विचार इस कहानी को लिखने के लिए। वास्तव में इसे कहानी कहना इसका अपमान होगा। ये तो जीवन जीने का मंत्र है।
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