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हास्य व्यंग्य-जो अधूरी सी बात बाकी है ।

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(((वो जो अधूरी सी बात बाकी है))) ...

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लेखक के बारे में

मैं मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय/समस्तीपुर में मुख्य कार्यालय अधीझक के पद पर दिनांक-31-1-2020 तक कार्यरत था ,अब रेल से सेवानिवृत्त हो गया हूँ और रचना के संसार में रहकर देश और समाज की सेवा करना चाहते हैं ।मेरा जन्म सात जनवरी 1960 को पटना में कृष्णाष्ठमी के दिन हुआ था ।अभी मैं अपने नये घर ,फुलवारीशरीफ, पटना में रह रहा हूँ। मेरा मोबाइल फोन न-7061235956 है।

समीक्षा
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    Jayshree Singh
    31 मई 2020
    जान से ज्यादा ध्यान खूबसूरती ,घूमना फिरना, बाहर का खाने पर है। जोरू के सच्चे गुलाम बस गिने चुने बचे हैं। दिखावे के लिये ढेरों हैं। जोरदार व्यंग्य।
  • author
    Sneha
    31 मई 2020
    वाह जी वाह बहुत ही बेहतरीन तरीके से सही व स्टीक बातों का वर्णन किया ।
  • author
    31 मई 2020
    अति सुन्दर अभिव्यक्ति लाजवाब पेशकश जी 🙏💐
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    Jayshree Singh
    31 मई 2020
    जान से ज्यादा ध्यान खूबसूरती ,घूमना फिरना, बाहर का खाने पर है। जोरू के सच्चे गुलाम बस गिने चुने बचे हैं। दिखावे के लिये ढेरों हैं। जोरदार व्यंग्य।
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    Sneha
    31 मई 2020
    वाह जी वाह बहुत ही बेहतरीन तरीके से सही व स्टीक बातों का वर्णन किया ।
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    31 मई 2020
    अति सुन्दर अभिव्यक्ति लाजवाब पेशकश जी 🙏💐