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((हास्य दोहा- पागल दिल))

4.5
6

हर आदमी का दिल,कब पागल हो जाय समझना बड़ा मुश्किल,दिल संभल न पाय।। दो अनजान पथ का राही,एक-दूसरे में खोय प्रेम पथ के सफर में,जब दिल पागल होय।। पागल दिलवाले लोग ,ऐसा ही काम कर जाय वह समाज में नाम ...

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लेखक के बारे में

मैं मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय/समस्तीपुर में मुख्य कार्यालय अधीझक के पद पर दिनांक-31-1-2020 तक कार्यरत था ,अब रेल से सेवानिवृत्त हो गया हूँ और रचना के संसार में रहकर देश और समाज की सेवा करना चाहते हैं ।मेरा जन्म सात जनवरी 1960 को पटना में कृष्णाष्ठमी के दिन हुआ था ।अभी मैं अपने नये घर ,फुलवारीशरीफ, पटना में रह रहा हूँ। मेरा मोबाइल फोन न-9386551434 है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Madhu Sethi
    17 अप्रैल 2023
    सही कहा आपने पागल दिल ही कोई विशेष काम कर जाता है अच्छी प्रस्तुति आपकी
  • author
    अनिता कुमारी
    17 अप्रैल 2023
    बहुत सुंदर प्रस्तुति
  • author
    Dharm Pal Singh Rawat
    17 अप्रैल 2023
    वाह वाह
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Madhu Sethi
    17 अप्रैल 2023
    सही कहा आपने पागल दिल ही कोई विशेष काम कर जाता है अच्छी प्रस्तुति आपकी
  • author
    अनिता कुमारी
    17 अप्रैल 2023
    बहुत सुंदर प्रस्तुति
  • author
    Dharm Pal Singh Rawat
    17 अप्रैल 2023
    वाह वाह