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हरे कांच की चूड़ियां

4.6
22646

बाल विधवा राधिका और चिराग की प्यारी सी प्रेम-कहानी।

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लेखक के बारे में
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Soma Sur

अहं ब्रह्मस्मि

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rajshri Joshi
    30 ডিসেম্বর 2019
    बहुत सुंदर कहानी बाल विधवा की भी अपनी लाइफ है उसे भी खुशी से जीने का हक है
  • author
    Mukta Saxena
    01 এপ্রিল 2020
    बहुत सुंदर , पता नहीं क्यों लोग बिंदी भी लगाने के लिए सौ बातें सुनाते हैं ?अरे भाई ! बिंदी तो बच्चियां बगैर शादी के भी लगाती रही है। जिस चेहरे पर बरसों बरस तक बिंदी सजती आ रही हो , वो चेहरा सुना सूना बड़ा बुरा लगता है । मैंने अपनी एक रिलेटिव को अपनी इच्छा से जीने के लिए कहा । और वो भी खुश रहती हैं।
  • author
    27 সেপ্টেম্বর 2018
    खूबसूरत रचना है । अभी हाल ही में हमारी नयी रचना "शिवार्थ" , " रक्षक " प्रकाशित हुई हैं । उम्मीद करेंगे वह पसंद आएगी lकृपयापढियेगा जरूर।
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    Rajshri Joshi
    30 ডিসেম্বর 2019
    बहुत सुंदर कहानी बाल विधवा की भी अपनी लाइफ है उसे भी खुशी से जीने का हक है
  • author
    Mukta Saxena
    01 এপ্রিল 2020
    बहुत सुंदर , पता नहीं क्यों लोग बिंदी भी लगाने के लिए सौ बातें सुनाते हैं ?अरे भाई ! बिंदी तो बच्चियां बगैर शादी के भी लगाती रही है। जिस चेहरे पर बरसों बरस तक बिंदी सजती आ रही हो , वो चेहरा सुना सूना बड़ा बुरा लगता है । मैंने अपनी एक रिलेटिव को अपनी इच्छा से जीने के लिए कहा । और वो भी खुश रहती हैं।
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    27 সেপ্টেম্বর 2018
    खूबसूरत रचना है । अभी हाल ही में हमारी नयी रचना "शिवार्थ" , " रक्षक " प्रकाशित हुई हैं । उम्मीद करेंगे वह पसंद आएगी lकृपयापढियेगा जरूर।