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हर शाख पे उल्लू बैठा है....

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हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजामे-गुलिस्ताँ क्या होगा पोषक ही शोषक बन जाये इस जनता का क्या होगा रक्षक ही भक्षक बन जाये  तो इस उपवन का क्या होगा भेडों की खाल में छिपे भेड़िये, बापू के वतन का क्या ...

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लेखक के बारे में
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Sudhir Kumar Sharma

नाम तो सुधीर लेकिन लेखनी बिल्कुल अधीर कविता के दर्पण में सिमटी जीवन की हर एक तस्वीर चिंतन के सागर में डूबी  और चेतना का नभ छूती छंदों की सीपी में ढलती मोती बनती मन की पीर       -सुधीर अधीर

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    AnshuPriya Agrawal
    11 জানুয়ারী 2020
    आप जैसे कवि और उजस तेजस पाठकों के मन में बढ़ाते रहे तो कुछ अच्छा ही होगा
  • author
    03 জানুয়ারী 2020
    कमाल है आपकी लेखनी में जितनी भी तारीफ की जाए उतनी ही कम है ।
  • author
    Krishna Shukla
    02 জানুয়ারী 2020
    बेहद प्रेरणादायक सुंदर भावों से भरी रचना
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    AnshuPriya Agrawal
    11 জানুয়ারী 2020
    आप जैसे कवि और उजस तेजस पाठकों के मन में बढ़ाते रहे तो कुछ अच्छा ही होगा
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    03 জানুয়ারী 2020
    कमाल है आपकी लेखनी में जितनी भी तारीफ की जाए उतनी ही कम है ।
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    Krishna Shukla
    02 জানুয়ারী 2020
    बेहद प्रेरणादायक सुंदर भावों से भरी रचना