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हर लफ्ज़

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हर लफ्ज़ की गहराई में आज भी तू है; हर शाम में , ‘तन्हाई सा’ आज भी तू है , भले ही अब चुप-चुप से रहते हैं हम , पर ; इन खामोशियों में शोर सा आज भी तू है| ...

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लेखक के बारे में
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Ñëhá Ñåütî¥ål

चलो थोड़ा सा जीते हैं ज़िंदगी को.. कि आज फिर हम खुद से मिले हैं।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Nitish निर्जनता
    02 अक्टूबर 2023
    जबरदस्त, लाजबाव है आपकी लिखावट ....
  • author
    Aman Pawar
    23 सितम्बर 2019
    bhaut kub yrrrr👌🏻👌🏻👌🏼👌🏼👌🏼👌🏼
  • author
    Rahul Saksham
    02 सितम्बर 2021
    बहूत अच्छा है
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  • author
    Nitish निर्जनता
    02 अक्टूबर 2023
    जबरदस्त, लाजबाव है आपकी लिखावट ....
  • author
    Aman Pawar
    23 सितम्बर 2019
    bhaut kub yrrrr👌🏻👌🏻👌🏼👌🏼👌🏼👌🏼
  • author
    Rahul Saksham
    02 सितम्बर 2021
    बहूत अच्छा है