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हर ख्वाहिश पे दम निकले...

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हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले... अब भईया हज़ार ख्वाहिशें कौन पाले अपन तो एक ख्वाहिश ही हजारों ख्वाहिशों की टक्कर वाली पाल लेते हैँ.. और कभी कभी तो हम पालते नहीं बल्कि जबरदस्ती पल जाती ...

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लेखक के बारे में
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मोहन

🌹अब खरी खरी नहीं कहता हूँ.. इसीलिए अब तन्हा नहीं रहता हूं..🌹

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    03 मार्च 2024
    सही में लाइक्स के लाले पड़े हैं😁 लेकिन खुद के रिशतेदार काफी है मगजमारी के लिए😥
  • author
    Sunita ًRajput ً
    02 मार्च 2024
    बहुत सुंदर प्रस्तुति आपकी 👌👌👌💐💐💐✍️✍️✍️🌹🌹🌹👏👏🍫🍫🌺🌺🌺🙏☺️☺️
  • author
    𝒎𝒂𝒚𝒂 "🖤"
    03 मार्च 2024
    बेहतरीन लिखा आपने
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    03 मार्च 2024
    सही में लाइक्स के लाले पड़े हैं😁 लेकिन खुद के रिशतेदार काफी है मगजमारी के लिए😥
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    Sunita ًRajput ً
    02 मार्च 2024
    बहुत सुंदर प्रस्तुति आपकी 👌👌👌💐💐💐✍️✍️✍️🌹🌹🌹👏👏🍫🍫🌺🌺🌺🙏☺️☺️
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    𝒎𝒂𝒚𝒂 "🖤"
    03 मार्च 2024
    बेहतरीन लिखा आपने