हर करम अपना करेंगे ए वतन तेरे लिए बनाएंगे, सब स्वयं ही देश में बनाएंगे अपने विचारों से, विज्ञानो से आचार से ,प्रचार से,प्रगति का सूर्य नया हम प्राची में उगाएंगे ऐ वतन तेरे लिए अपना सर नतमस्तक ...
अंतर्मन की आवाज़ को देती हूँ शब्दों का आकार,
मेरी लेखनी में सिमटा है, संवेदनाओं का संसार।
मेरी रचनाएं मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित हैं।
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सारांश
अंतर्मन की आवाज़ को देती हूँ शब्दों का आकार,
मेरी लेखनी में सिमटा है, संवेदनाओं का संसार।
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रिपोर्ट की समस्या
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