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हमारी आवाज

4.4
376

बचपन से देख रहा हूँ हर रोज दबाई जाती है हमारी आवाज हमारे ही घर में और हमारे समाज में हमारे बड़े-बुजुर्गों के द्वारा ताकि हम आगे नहीं बढ़ सकें हमारी कहीं पूछ न हो हमारा कोई वजूद न हो और न कोई मोल रहे ...

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लेखक के बारे में

जन्म - 3 जनवरी 1984 को बिहार के सीवान जिले में जन्म .शिक्षा-गणित में स्नातकोत्तर .रचनायें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित .गाँव में रहकर स्वतंत्र रूप से कवितायें लिखते हैं .

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    POOJA TIWARI "POOJA"
    27 अप्रैल 2018
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