हमारी अपनी इच्छाएं ही हमारी उन्नति में बाधक है, हम बहुत सारी योजनाएं बनाते हैं, हमको लोभ और संग्रह की ओर प्रेरित करती हैं। उसके लिए धन जुटाते हैं , कुछ पूरी हो जाती हैं, कुछ अधूरी रह जाती हैं , ...
मैं भी साहित्य प्रेमी हूँ। मुझे कही कुछ कहने, लिखने, पढ़ने,का मौका नहीं मिला,सो मैं आप लोगों के बीच आज गया । यह मेरा तीसरा प्रवेश है । इसके पूर्व लगभग 300 से ऊपर पहली बार,दूसरी बार भी 350 से ऊपर रचना लिखा था । अब मैं पुन प्रवेश किया हूं,आप लोगों का स्नेह मिले ,
सारांश
मैं भी साहित्य प्रेमी हूँ। मुझे कही कुछ कहने, लिखने, पढ़ने,का मौका नहीं मिला,सो मैं आप लोगों के बीच आज गया । यह मेरा तीसरा प्रवेश है । इसके पूर्व लगभग 300 से ऊपर पहली बार,दूसरी बार भी 350 से ऊपर रचना लिखा था । अब मैं पुन प्रवेश किया हूं,आप लोगों का स्नेह मिले ,
रिपोर्ट की समस्या
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