हमारा मन " वक़्त समझौते करना और जिंदगी सहना ,सिखा देती है ,फिर भी मन इनकी नहीं सुनता " मटर की फलियों में बंद दानों की तरह, उछल - कूद मचाने के लिए मचलता रहता है एक वक़्त ऐसा आता है कि ...
मैं संसार की सबसे सुंदरतम रचना "मां"हूं।मेरे अंदर अनंत भावनाओं समावेश है। प्रकृति सम्पूर्ण विश्व का पालन- पोषण करती है और मैं अपने परिवार की वो धुरी हूं जो निरन्तर सुख दुख में उनके साथ गतिमान रहती हूं।"मैं हूं ना" यह शब्द है तो बहुत छोटा ,लेकिन हृदय को जीतने की क्षमता रखता है।
सारांश
मैं संसार की सबसे सुंदरतम रचना "मां"हूं।मेरे अंदर अनंत भावनाओं समावेश है। प्रकृति सम्पूर्ण विश्व का पालन- पोषण करती है और मैं अपने परिवार की वो धुरी हूं जो निरन्तर सुख दुख में उनके साथ गतिमान रहती हूं।"मैं हूं ना" यह शब्द है तो बहुत छोटा ,लेकिन हृदय को जीतने की क्षमता रखता है।
रिपोर्ट की समस्या
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