हलधर हलधर हलधर हूँ मैं अपने दिल का दर्द गाना चाहूंगा आंखों देखा हाल बताना जताना चाहूंगा आषाढ़ माह में 90 का किलो आता हैं जी सोयाबीन बारिश यदि कम हुई तो उगेगा वह दस में से तीन ...
मैं कवि नहीं हूँ लोको पायलट हूँ , ट्रेन चलाता हूँ , लिखना मेरा शौक हैं इसलिए लिखता हूँ।
मेरी बेहतरीन रचनाओं में से कुछ विशेष अच्छी हैं प्यार का ब्याज, पुनर्विवाह, बिखरते रिश्ते, दो प्रेमियों के प्यार की दास्तां, सुन बेटी ताकतवर बनना, शहीद की पत्नी, वीरांगना तुम धन्य हो, संभल जा दुश्मन पाक चाइना, और म्हारा बालमाकृपया इनको जरूर पढ़ें 🙏
सारांश
मैं कवि नहीं हूँ लोको पायलट हूँ , ट्रेन चलाता हूँ , लिखना मेरा शौक हैं इसलिए लिखता हूँ।
मेरी बेहतरीन रचनाओं में से कुछ विशेष अच्छी हैं प्यार का ब्याज, पुनर्विवाह, बिखरते रिश्ते, दो प्रेमियों के प्यार की दास्तां, सुन बेटी ताकतवर बनना, शहीद की पत्नी, वीरांगना तुम धन्य हो, संभल जा दुश्मन पाक चाइना, और म्हारा बालमाकृपया इनको जरूर पढ़ें 🙏
wah ji wah kha heart touching lines likhi hai app ne in kissan ke jeevan par bhut hi heart touching lines hai ji or m be kissan ke is dard ko acche se samaj sakti ho kio m khud ik kissan ki beti ho such me kissan mehnat toh bhut karte hai par far pata nhi kio ka hi kabhi kismat se on ko on ki mahnat ka poora mool nhi mil pata such me bhut badiya taareeke se ik kissan ke life ki muskil ko app ne appni rachna me samne laya ji
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हृदयस्पर्शी कविता शायद आज से पचास साल पहले स्थिति सही थी बहुत ज्यादा बाजारीकरण नही था किसान और खरीददार दोनों संतुष्ट बाद मे धीरे धीरे आधुनिकता कि होड़ और 30 का सामान उपभोक्ता तक 130 का पहुंचता है लेकिन किसान को 30₹ ही मिलता है उपभोक्ता और किसान दोनो दोषी है और ये धरना प्रदर्शन उसी चालबाजी का नतीजा है । बहुत अच्छा लिखा आपने । 👌👌👌👌👌🙏
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wah ji wah kha heart touching lines likhi hai app ne in kissan ke jeevan par bhut hi heart touching lines hai ji or m be kissan ke is dard ko acche se samaj sakti ho kio m khud ik kissan ki beti ho such me kissan mehnat toh bhut karte hai par far pata nhi kio ka hi kabhi kismat se on ko on ki mahnat ka poora mool nhi mil pata such me bhut badiya taareeke se ik kissan ke life ki muskil ko app ne appni rachna me samne laya ji
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हृदयस्पर्शी कविता शायद आज से पचास साल पहले स्थिति सही थी बहुत ज्यादा बाजारीकरण नही था किसान और खरीददार दोनों संतुष्ट बाद मे धीरे धीरे आधुनिकता कि होड़ और 30 का सामान उपभोक्ता तक 130 का पहुंचता है लेकिन किसान को 30₹ ही मिलता है उपभोक्ता और किसान दोनो दोषी है और ये धरना प्रदर्शन उसी चालबाजी का नतीजा है । बहुत अच्छा लिखा आपने । 👌👌👌👌👌🙏
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