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हक़ का सवाल

4.7
812

अक्सर मेरी परछाई पूछती है मुझसे क्या इतना हक़ कमाया है तुमने की जब बोलो तुम सुने ये दुनिया , समाज घर, परिवार कल और आज .. सुनो तो जवाब दो मेरी बात का क्या सुने जाने की काबिलियत पाई है तुमने ? क्या ये ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shambhu Amitabh
    12 ઓકટોબર 2015
    अति सुंदर अभिव्यक्ति   कविता की पंक्तियाँ प्रवाहमय हैं - किसी को क्या हक है दूसरे को गम दे, देना ही है, तो दवा दे न कि दर्द दे !
  • author
    Zealous Neha
    12 ઓકટોબર 2015
    अति उत्तम...! :) 
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    11 ડીસેમ્બર 2022
    नारी में स्वाभिमान पाने की उत्कण्ठा जगाने को प्रेरित करती सुन्दर अभिव्यक्ति । हार्दिक साधुवाद
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    Shambhu Amitabh
    12 ઓકટોબર 2015
    अति सुंदर अभिव्यक्ति   कविता की पंक्तियाँ प्रवाहमय हैं - किसी को क्या हक है दूसरे को गम दे, देना ही है, तो दवा दे न कि दर्द दे !
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    Zealous Neha
    12 ઓકટોબર 2015
    अति उत्तम...! :) 
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    अरविन्द सिन्हा
    11 ડીસેમ્બર 2022
    नारी में स्वाभिमान पाने की उत्कण्ठा जगाने को प्रेरित करती सुन्दर अभिव्यक्ति । हार्दिक साधुवाद