२२१२ २२१२ २२१२ १२१२ दरवेश के हर हुजरे से अब मेहमां हटाइए जो लाश ले चलती गरीबी,दरमियाँ हटाइए बार-ए-गिरेबा को कलफ न मिले जहाँ नसीब में तहजीब की अब उस कमीज से गिरेबां हटाइए ये है निजाम तेरा, सफीना सोच ...

प्रतिलिपि२२१२ २२१२ २२१२ १२१२ दरवेश के हर हुजरे से अब मेहमां हटाइए जो लाश ले चलती गरीबी,दरमियाँ हटाइए बार-ए-गिरेबा को कलफ न मिले जहाँ नसीब में तहजीब की अब उस कमीज से गिरेबां हटाइए ये है निजाम तेरा, सफीना सोच ...