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है जुबाॅं आहत - गज़ल

4.3
457

है जुबाॅं आहत मेरी और आॅख पथराई हुयी। कैसे नाजुक मोड़ पर ये जिन्दगी आई हुयी। आइए, ले जाइए बदले कलम के रोटियाॅं योजना कोई नई इस शहर में आई हुयी। जुगनुओं का कद बढ़ा, इतना बढ़ा, बढत़ा गया फिर रही है ...

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लेखक के बारे में
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अखिलेश चमन

आत्मज-स्व0 त्रिवेणी सहाय जन्म-19 दिसम्बर 1958, ग्राम-मनियर, जिला-बलिया, उ0प्र0 शिक्षा- बीएस0 सी0,एल0एल0बी0, ( इलाहाबाद विश्वविद्यालय)  एम0ए0 हिन्दी (गढ़वाल विश्वविद्यालय) सम्प्रति-उत्तर प्रदेश सरकार की सेवा में प्रथम श्रेणी राजपत्रित अधिकारी (डी0 आई जी0 रजिस्ट्रेशन/डिप्टी कमिश्नर स्टाम्प) प्रकाशन- मुख्यरूप से कहानी लेखन में सक्रिय। पहली रचना मार्च 1974 में छपी। तब से अब तक हिन्दी की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र, पत्रिकाओं में विविध विधाओं की एक हजार से अधिक रचनायें प्रकाशित दूरदर्शन केन्द्र लखनऊ तथा आकाशवाणी के इलाहाबाद, वाराणसी, नजीबाबाद, एवं छतरपुर केन्दों से अनेकों बार रचनाओं का प्रसारण। कुछ रचनाओं का पंजाबी भाषा में अनुवाद। महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड सहित कई विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में रचनायें सम्मिलित हैं। कृतियाॅं-विभिन्न प्रकाशन संस्थानों से अब तक कुल बीस पुस्तकें प्रकाशित-     दो कहानी संकलन-1-‘लोहे की काट’ 2- ‘चुनिन्दा कहानियाॅं’  एक आलोचनात्मक लेखों का संकलन-‘बच्चे, बचपन और बाल साहित्य’ दो बाल उपन्यास-1-‘बीनू का सपना’, 2- ‘आपरेशन अखनूर’ सात बाल कहानी संकलन-1-‘खीर का पेड़’, 2-‘फौजी का बेटा’,3-‘बहादुर टीपू’,         4-‘बंटी का कम्प्यूटर’, 5-‘बीनू की ड़ायरी’, 6-‘गुल्लक’, 7-‘सब बुद्धू हैं’ चार बाल कविता संकलन-1-‘एक पते की बात’, 2-‘देश हमारा’, 3-‘बिल्ली की भक्ति’, 4-‘बढ़े चलो’   एक बाल एकांकी संकलन- ‘हड़ताल’ तीन लेखों के संकलन-1-‘विज्ञान की बातें’, 2-‘ज्ञान की बातें’, 3-‘नीला आसमान’ पुरस्कार-1-भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय दिल्ली,  2-सोहनलाल द्विवेदी सर्जना पुरस्कार हिन्दी संस्थान लखनऊ,  3-रामसिंहासन सहाय मधुर पुरस्कार बलिया,  4-भूपनारायण दीक्षित पुरस्कार हरदोई,  5-आचार्य रूपेश सम्मान औरैया  6-बालवाटिका पुरस्कार भीलवाड़ा  7-कमलेश्वर कहानी पुरस्कार 2013  

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 अक्टूबर 2015
    शीर्षक ही दर्शाता है । राष्ट्र भाषा का कोई सम्मान न करती सारहीन व अप्रासांगिक कविता ।
  • author
    22 जून 2022
    बहुत खूब ।
  • author
    Sumedha Prakash
    09 अक्टूबर 2018
    वाह वाह
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  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 अक्टूबर 2015
    शीर्षक ही दर्शाता है । राष्ट्र भाषा का कोई सम्मान न करती सारहीन व अप्रासांगिक कविता ।
  • author
    22 जून 2022
    बहुत खूब ।
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    Sumedha Prakash
    09 अक्टूबर 2018
    वाह वाह