pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

है बस कि हर इक उनके इशारे में निशाँ और

4.4
2476

है बस कि हर इक उनके इशारे में निशाँ और करते हैं मुहब्बत तो गुज़रता है गुमाँ और या रब वो न समझे हैं न समझेंगे मेरी बात दे और दिल उनको जो न दे मुझको ज़ुबाँ और आबरू से है क्या उस निगाह -ए-नाज़ को पैबंद ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

मूल नाम : मिर्ज़ा असदउल्ला बेग़ ख़ान ग़ालिब जन्म : 27 दिसंबर 1796, आगरा (उत्तर प्रदेश) भाषा : उर्दू, फ़ारसी विधाएँ : गद्य, पद्य निधन - 15 फरवरी 1869, दिल्ली

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    23 जून 2022
    वाह वाह
  • author
    MAHESH PATEL "The Forgotten"
    17 जुलाई 2017
    nicest one ....lovelyyyyyyy
  • author
    Mohd Salman
    30 अक्टूबर 2018
    fantastic tadka
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    23 जून 2022
    वाह वाह
  • author
    MAHESH PATEL "The Forgotten"
    17 जुलाई 2017
    nicest one ....lovelyyyyyyy
  • author
    Mohd Salman
    30 अक्टूबर 2018
    fantastic tadka