यदि मन ुष्य और पशु में अंतर किया जाए तो केवल बुद्धि द्वारा ही किया जा सकता है बुद्धि तथा ज्ञान के बिना मनुष्य संसार के एक दयनिक प्राणी होता है अनादि काल से मनुष्य अपने ज्ञान का परिष्कार करता आ ...
बहुत ही खुबसूरत जानकारी और विचारों को बेहतरीन तरीके से संजोया है आपने बिलकुल सही कहा आपने किताबों हमारे व्यकितत्व का निर्माण करतीं हैं आज प्रतिलिपि ने पुस्तकों की बहुत सी श्रेणियों को हमें सुगमता से उपलब्ध करा दिया है जहाँ हम किसी भी बिषय की पुस्तकों को पढ़ सकते हैं लाजवाब शानदार अभिव्यक्ति भरी रचना 👏👌👏👌
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