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गुस्सा और चुप्पी

4.1
319

बहुत सारी चीज़ों पर आता है गुस्सा सबकुछ तोड़फोड़ देने, तहस-नहस कर देने की एक आदिम इच्छा उबलती है जिस पर विवेक धीरे-धीरे डालता है ठंडा पानी कुछ देर बचा रहता है धुआं इस गुस्से का तुम बेचैन से भटकते हो, ...

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लेखक के बारे में
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प्रियदर्शन

जन्म: 24 जून, 1968, रांची अंग्रेज़ी में एमए (रांची विश्वविद्यालय) करीब तीन दशक से पत्रकारिता शुरुआत रांची के अख़बारों न्यू मेसेज़ और रांची एक्सप्रेस से. 1996 से 2002 के बीच जनसत्ता में सहायक संपादक 2003 से अब तक एनडीटीवी में कार्यरत प्रकाशित किताबें उसके हिस्से का जादू (कहानी संग्रह, 2007, राधाकृष्ण प्रकाशन) इतिहास गढ़ता समय (आलेख संग्रह, 2009, सामयिक प्रकाशन) नष्ट कुछ भी नहीं होता (कविता संग्रह, 2012, राधाकृष्ण प्रकाशन) ख़बर बेख़बर (पत्रकारिता पर केंद्रित लेखों की किताब, सामयिक प्रकाशन) ग्लोबल समय में कविता (आलोचना, 2014, वाणी प्रकाशन) ग्लोबल समय में गद्य (आलोचना, 2014, वाणी प्रकाशन) बारिश धुआं और दोस्त (कहानी संग्रह, 2015, राधाकृष्ण प्रकाशन) नए दौर का नया सिनेमा (सिने-आलोचना, 2015, वाणी प्रकाशन) कविता संग्रह का मराठी अनुवाद काहीत नष्ट होत नसतं प्रकाशनाधीन अनुवाद आधी रात की संतानें (उपन्यास, मिडनाइट्स चिल्ड्रेन, सलमान रुश्दी, वाणी प्रकाशन) क़त्लगाह (उपन्यास, टॉर्चर्ड ऐंड डैम्ड, रॉबर्ट पेन, राधाकृष्ण प्रकाशन) बहुजन हिताय (नर्मदा पर केंद्रित किताब, द ग्रेटर कॉमन गुड, अरुंधती रॉय, राजकमल प्रकाशन) पर्यावरणवादी पीटर स्कॉट की जीवनी (ओरिएंट लांगमैन) पर्यावरण प्रहरी (लेखों का संग्रह- द ग्रीन टीचर, नेशनल बुक ट्रस्ट) कुछ ग़मे दौरां (लेख संग्रह, के बिक्रम सिंह, वाणी प्रकाशन) संपादन कहानियां रिश्तों की: बड़े बुज़ुर्ग (राजकमल प्रकाशन) पत्रकारिता में अनुवाद पुरस्कार कहानी संग्रह उसके हिस्से का जादू के लिए स्पंदन पुरस्कार 2009

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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anu Sharma "Avika"
    19 अक्टूबर 2018
    nice
  • author
    Sumedha Prakash
    12 अक्टूबर 2018
    Wah wah
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    13 जून 2023
    गुस्से व चुप्पी का सुन्दर विवेचनात्मक विश्लेषण सराहनीय । हार्दिक साधुवाद
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    Anu Sharma "Avika"
    19 अक्टूबर 2018
    nice
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    Sumedha Prakash
    12 अक्टूबर 2018
    Wah wah
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    13 जून 2023
    गुस्से व चुप्पी का सुन्दर विवेचनात्मक विश्लेषण सराहनीय । हार्दिक साधुवाद