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हिन्दी

गुप्तधन

4.6
16359

बाबू हरिदास का ईंटों का पजावा शहर से मिला हुआ था। आसपास के देहातों से सैकड़ों स्त्री-पुरुष, लड़के नित्य आते और पजावे से ईंट सिर पर उठा कर ऊपर कतारों से सजाते। एक आदमी पजावे के पास एक टोकरी में ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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    राहुल कांबळे
    22 अक्टूबर 2018
    ये कथा मैने हिंदी पाठ्यपुस्तक मे जब मै 10 वी कक्षा में था टब पढि थ,ऊस दिन मै मुन्शी प्रेमचंद जी का फॅन हो गया था,आज ये कथा पढणे के बाद मुझे मेरे स्कुल के दिन याद आ गये थँक्स प्रतिलिपी
  • author
    TAKHT SINGH "Tagat"
    09 जून 2020
    खैर ....मुंशी जी की हम क्या समीक्षा कर सकते हैं ? इनकी तो जितनी तारीफ की जाए कम है सटीक शब्दों का प्रयोग ।
  • author
    Mahesh Mishra
    26 जनवरी 2019
    👍बेहतरीन कहानी एक बहुत ही अच्छे संदेश के साथ। वास्तव में प्रेमचंद जी ऐसे ही कहानीसम्राट नहीं कहलाये।
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    राहुल कांबळे
    22 अक्टूबर 2018
    ये कथा मैने हिंदी पाठ्यपुस्तक मे जब मै 10 वी कक्षा में था टब पढि थ,ऊस दिन मै मुन्शी प्रेमचंद जी का फॅन हो गया था,आज ये कथा पढणे के बाद मुझे मेरे स्कुल के दिन याद आ गये थँक्स प्रतिलिपी
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    TAKHT SINGH "Tagat"
    09 जून 2020
    खैर ....मुंशी जी की हम क्या समीक्षा कर सकते हैं ? इनकी तो जितनी तारीफ की जाए कम है सटीक शब्दों का प्रयोग ।
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    Mahesh Mishra
    26 जनवरी 2019
    👍बेहतरीन कहानी एक बहुत ही अच्छे संदेश के साथ। वास्तव में प्रेमचंद जी ऐसे ही कहानीसम्राट नहीं कहलाये।