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गूंजते हैं --- *ग़ज़ल*

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मस्ती में भरे उनके कहकहे गूंजते हैं कह न सके जो वो अनकहे गूंजते हैं मन  में  गुबार  उठता है  कभी-कभी दर्द जो सहे वो रह-रहके रहे गूंजते हैं पुराने लोगों की  बात का  क्या असर आधुनिक परिवेश में नयेनये ...

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लेखक के बारे में
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रोहित मिश्र

संतुलित जीवन ही सुखी जीवन का आधार जिसमें डाल प्रेम सेवा विनम्रता की अग्यार। जियें तो सिर्फ अनासक्त अपेक्षा रहित जीवन ताकि हर तरफ से आती रहे समता की बयार।।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ritu Goel
    19 जुलाई 2022
    वाह वाह बहुत खूब बेहतरीन सार्थक भावपूर्ण अभिव्यक्ति बहुत ही अच्छा लिखा 👌👌👌👌👌
  • author
    Mrs Patil
    19 जुलाई 2022
    व्वाह क्या खूब लिखा है आपने हर शेर लाजवाब एवं भावस्पर्शी बेहतरीन अभिव्यक्ती सर जी
  • author
    Dr. Sunil Kr. Mishra
    19 जुलाई 2022
    वाह, बहुत ही बेहतरीन एवम भावपूर्ण अभिव्यक्ति आपकी लाजवाब सृजन आपका मित्र।
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    Ritu Goel
    19 जुलाई 2022
    वाह वाह बहुत खूब बेहतरीन सार्थक भावपूर्ण अभिव्यक्ति बहुत ही अच्छा लिखा 👌👌👌👌👌
  • author
    Mrs Patil
    19 जुलाई 2022
    व्वाह क्या खूब लिखा है आपने हर शेर लाजवाब एवं भावस्पर्शी बेहतरीन अभिव्यक्ती सर जी
  • author
    Dr. Sunil Kr. Mishra
    19 जुलाई 2022
    वाह, बहुत ही बेहतरीन एवम भावपूर्ण अभिव्यक्ति आपकी लाजवाब सृजन आपका मित्र।