मां उस शब्द को वो समझ ही कहां पायी थी 😨...?? उसके तीसरे भाई या बहन के जन्म लेने के समय ही तो मां उसे और उसके डेढ़ साल के भाई को छोड़कर वहां चलीं गयीं थीं... जहां से कोई वापस नहीं आता है😣। बड़े से ...
superbbbbb story..... इतनी इमोशनल कहानी.....आपने लिखी कैसे.....मैं तो पढ़ नी सकी एक साथ.....सारी स्टोरी....रुक रुक कर पढ़ी.......
सच में कई लड़कियों की किस्मत भगवान पता नी कैसे लिखता है....जिस चीज को तरसती है....वो सारी उम्र ही नहीं मिलती.....
सच ही कहा है किसी ने.....लडको को बहुत माएं मिल जाती है....सबसे पहले जो जन्म देती है.....फिर बहन भी जरूरत पड़ने पर मां बन जाती है.....फिर बीवी आती है वो भी मां की तरह ही ख्याल रखती है.....फिर बेटी भी एक मां की तरह पिता का ख्याल रखती है.....पर लड़कियों को सिर्फ एक ही मिलती है....और अगर वो चली जाए तो कभी मां नही मिलती...
गूंजा की जिंदगी में भी ऐसा ही था......3साल की उमर में मां चली गई....एक तरह से पिता का साथ भी छूट ही गया था....और भाई के लिए जीजी मां बन गई...ससुराल आई तो पति ने भी प्यार नी दिखाया.....सास से उम्मीद ही क्या लगती.....बस काम करने वाली घर आ गई यही समझा....
पहले मां चली गई....फिर दादा जी...फिर पिता....और भाई की मौत ने तो ऐसा तोड़ा की खुद ही चली गई.....भाई बहन का रिश्ता ऐसा ही होता है...…
हमे किसी की वैल्यू उसके जाने के बाद पता चलती है....जैसे रवि को पता चली गूंजा के जाने के बाद....
मेरी मां भी बीमार है 5 सालो से....वो चल नी सकती....उनकी दोनो legs paralyzed hai..... बस ये है की कम से कम वो दिखती तो है आंखो के सामने... मुझे बता देती है ये कर....वो कर....मैने तो सब्जी तक मां के बीमार होने के बाद सीखी....सब कच तैयार कर लेती थी....और फिर पूछ पूछ कर बनाती थी....
पहले बड़ी बहन थी....उसकी शादी हो गई....फिर था की दादी है...और बहन की शादी के एक साल बाद दादी भी चली गई...
और मैं अब अकेले सब कुछ संभाल रही हूं....सच में लड़कियां कब बड़ी हो जाए पता नी चलता....पहले मैं डरती थी कैसे सब संभालुगी...लेकिन समय सब सिखा देता है....
sorry flow flow apna hi दुख लेकर बैठ गई....
स्टोरी अच्छी थी....इमोशनल थी....मैं तो अब भी रो रही हु.....पहले सोचा रात को पढूंगी...लेकिन दिल किया बस पढ़ लू.....ज्यादा इमोशनल से रोना आ जाता है....ये मेरी paritilipi पर 3 स्टोरी जिसे पढ़ कर रोना आया.....BSS or ni लिखती नही तो नदिया यही बहने स्टार्ट हो जाएंगी.....
waiting for somit and rajita......
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क्या कहे आपने तो एकदम इमोशनल कर दिया🙁🙁🙁
बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना थी।
पता नही ऐसा क्यों होता हैं जो सबके बारे में सोचता है उसके बारे में कोई नही सोचता।
बेचारी गूंजा हमेसा से मां के प्यार के लिए तरसी, सोचा सास के रूप ने मां का प्यार मिलेगा वहां भी उसकी किस्मत दगा दे गई और पति ने भी उसकी कद्र ना की। एक भाई का सहारा था उसे भी भगवान ने छीन लिया😢😢😢😢
पता है ये सिर्फ एक कहानी हैं लेकिन पढ़ कर मन कांप गया। भगवान इतना बुरा कभी किसी के साथ ना करे।
और मां के बारे में क्या ही कहे! ये शब्द तो अपने आप में ही पूरी संसार समेटे हैं 🤗🤗🤗🤗
उत्कृष्ट रचना मैम 👏👏👌👌❤️❤️❤️❤️
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क्या ही कहूं आपकी इस अद्भुत रचना के बारे में maam.....
ऐसा लग रहा था कि हम इससे जुड़ते जा रहे थे । शुरुआत से ले कर अंत तक हमारे आंसु नहीं रुके ..... गुंजा का दर्द उसकी सुनी आंखे उसकी मासूमियत , उम्र से पहले बड़ा होना सब कुछ बहुत ही अटैचेड कर रहा था।
फिर उसने सोचा कि जब उसकी शादी होगी तब वो मा का प्यार पा सकेगी पर वहा भी वो निराश हुई । शादी के बाद एक पति ही तो होता है जो अपनी पत्नी की पीड़ा, दुख, को कम करता है पर रवि को तो गुंजा बस उसकी जरूरत का ध्यान रखने के लिए लाया गया
उसने तो कभी उसे समझा ही नहीं।
यहां एक बात अच्छी लगी कि उसके बच्चे बहुत अच्छे थे वो अपनी मा से प्यार करते थे और उसे समझते भी
गुंजा ki जिंदगी बच्चो के प्यार से ही रोशन हो रही थी
लेकिन होनी को और ही कुछ था उसका प्यारा भाई.... उसका बेटा जिसे उसने बचपन से पलको पर रखा था उसकी मृत्यु का संदेश अना । इस संदेश ने तो गुंजा को एक लाश hi बना दिया अब उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था । की जिस बच्चे को उसने एक मा के समान प्यार किया उसका भाई , बच्चा उसे छोड़ कर चला गया।
इसके बाद गुंजा में जीने कि सक्षमता नहीं रही।
हम इतना रोने लगे की अपने मा के गले लग गए थे अपनी कहानी पड़ने के बाद। मम्मी भी रोने लगी की क्यू हम रो रहे है।
जब बताया तो मुझे प्यार से पुचकारा। तब जा कर रोना बंद किया।
कितना भी दुखी मन हो बस एक बार मां सर पे हाथ फेर दे तो सब कुछ अच्छा लगने लगता है।....
i love you maa ❤️❤️❤️❤️❤️
एक एक घटना कहानी की हमारे जेहन में उतरती गई। लास्ट में जब गुंजा की मां उसे लेने अयी तब गुंजा को अपने मां का प्यार मिला ...जीते जी तो उसके नसीब में नहीं था।
जितनी तारीफ करू कम है ..... नतमस्तक प्रणाम 🙏🙏🙏
maam आपको बहुत बहुत धन्यवाद इतनी रूहानी रचना के लिए।❤️❤️❤️❤️❤️❤️
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सच ही कहा है किसी ने.....लडको को बहुत माएं मिल जाती है....सबसे पहले जो जन्म देती है.....फिर बहन भी जरूरत पड़ने पर मां बन जाती है.....फिर बीवी आती है वो भी मां की तरह ही ख्याल रखती है.....फिर बेटी भी एक मां की तरह पिता का ख्याल रखती है.....पर लड़कियों को सिर्फ एक ही मिलती है....और अगर वो चली जाए तो कभी मां नही मिलती...
गूंजा की जिंदगी में भी ऐसा ही था......3साल की उमर में मां चली गई....एक तरह से पिता का साथ भी छूट ही गया था....और भाई के लिए जीजी मां बन गई...ससुराल आई तो पति ने भी प्यार नी दिखाया.....सास से उम्मीद ही क्या लगती.....बस काम करने वाली घर आ गई यही समझा....
पहले मां चली गई....फिर दादा जी...फिर पिता....और भाई की मौत ने तो ऐसा तोड़ा की खुद ही चली गई.....भाई बहन का रिश्ता ऐसा ही होता है...…
हमे किसी की वैल्यू उसके जाने के बाद पता चलती है....जैसे रवि को पता चली गूंजा के जाने के बाद....
मेरी मां भी बीमार है 5 सालो से....वो चल नी सकती....उनकी दोनो legs paralyzed hai..... बस ये है की कम से कम वो दिखती तो है आंखो के सामने... मुझे बता देती है ये कर....वो कर....मैने तो सब्जी तक मां के बीमार होने के बाद सीखी....सब कच तैयार कर लेती थी....और फिर पूछ पूछ कर बनाती थी....
पहले बड़ी बहन थी....उसकी शादी हो गई....फिर था की दादी है...और बहन की शादी के एक साल बाद दादी भी चली गई...
और मैं अब अकेले सब कुछ संभाल रही हूं....सच में लड़कियां कब बड़ी हो जाए पता नी चलता....पहले मैं डरती थी कैसे सब संभालुगी...लेकिन समय सब सिखा देता है....
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बेचारी गूंजा हमेसा से मां के प्यार के लिए तरसी, सोचा सास के रूप ने मां का प्यार मिलेगा वहां भी उसकी किस्मत दगा दे गई और पति ने भी उसकी कद्र ना की। एक भाई का सहारा था उसे भी भगवान ने छीन लिया😢😢😢😢
पता है ये सिर्फ एक कहानी हैं लेकिन पढ़ कर मन कांप गया। भगवान इतना बुरा कभी किसी के साथ ना करे।
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ऐसा लग रहा था कि हम इससे जुड़ते जा रहे थे । शुरुआत से ले कर अंत तक हमारे आंसु नहीं रुके ..... गुंजा का दर्द उसकी सुनी आंखे उसकी मासूमियत , उम्र से पहले बड़ा होना सब कुछ बहुत ही अटैचेड कर रहा था।
फिर उसने सोचा कि जब उसकी शादी होगी तब वो मा का प्यार पा सकेगी पर वहा भी वो निराश हुई । शादी के बाद एक पति ही तो होता है जो अपनी पत्नी की पीड़ा, दुख, को कम करता है पर रवि को तो गुंजा बस उसकी जरूरत का ध्यान रखने के लिए लाया गया
उसने तो कभी उसे समझा ही नहीं।
यहां एक बात अच्छी लगी कि उसके बच्चे बहुत अच्छे थे वो अपनी मा से प्यार करते थे और उसे समझते भी
गुंजा ki जिंदगी बच्चो के प्यार से ही रोशन हो रही थी
लेकिन होनी को और ही कुछ था उसका प्यारा भाई.... उसका बेटा जिसे उसने बचपन से पलको पर रखा था उसकी मृत्यु का संदेश अना । इस संदेश ने तो गुंजा को एक लाश hi बना दिया अब उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था । की जिस बच्चे को उसने एक मा के समान प्यार किया उसका भाई , बच्चा उसे छोड़ कर चला गया।
इसके बाद गुंजा में जीने कि सक्षमता नहीं रही।
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कितना भी दुखी मन हो बस एक बार मां सर पे हाथ फेर दे तो सब कुछ अच्छा लगने लगता है।....
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