pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

गुमराह

5
13

गुमराह बहती हुई नदी  अगर गुमराह होकर छोड़ दे अपना रास्ता तो अधूरा रह जाएगा समुद्र का इंतजार! तब दर्द भरी आह! से बोलेगा समुद्र  कि भटकना ही जानती है। पेड़ अगर गुमराह होकर बन जाए हठी  तो कभी नहीं ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

डॉ०नवीन दवे मनावत

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pawan Kumar
    22 जून 2020
    वाह dr सहाब बहुत खूब वैसे किस तरह के dr है आप क्या किया है आपने कुछ बताया नहीं।
  • author
    08 जून 2020
    बढ़िया प्रस्तुति है आपकी ।
  • author
    खूबसूरत अभिव्यक्ति
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pawan Kumar
    22 जून 2020
    वाह dr सहाब बहुत खूब वैसे किस तरह के dr है आप क्या किया है आपने कुछ बताया नहीं।
  • author
    08 जून 2020
    बढ़िया प्रस्तुति है आपकी ।
  • author
    खूबसूरत अभिव्यक्ति