गूलर के फूल के बारे में कहा जाता है कि आजतक इसके फूल को किसी ने नहीं देखा। गूलर के फूल चांदनी रात में खिलते हैं और खिलते ही स्वर्गलोक में चले जाते हैं, जब ये खिलते हैं तो परिया और अप्सराये नाचती ...
मैं एक सादा जीवन जीने वाला साधारण व्यक्ति हू . ऐसे सभी विचार जो लोगों की भलाई के लिए हो मुझे पसंद है. सर्वे भवन्तुः सुखिनः और वसुधैव कुटुंबकम मेरे आदर्श हैं. एक शिक्षक के रूप मे कई इंजीनियरिंग कॉलेजस मे सेवा प्रदान की हैं. गाँव से मेरा लगाव बचपन से रहा हैं. मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, फण्डीश्वर नाथ रेणु मुझे अत्यधिक प्रिय हैं. आपकी टिप्पणी एवं आलोचनाएँ ही मेरी प्रेरणा हैं.
सारांश
मैं एक सादा जीवन जीने वाला साधारण व्यक्ति हू . ऐसे सभी विचार जो लोगों की भलाई के लिए हो मुझे पसंद है. सर्वे भवन्तुः सुखिनः और वसुधैव कुटुंबकम मेरे आदर्श हैं. एक शिक्षक के रूप मे कई इंजीनियरिंग कॉलेजस मे सेवा प्रदान की हैं. गाँव से मेरा लगाव बचपन से रहा हैं. मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, फण्डीश्वर नाथ रेणु मुझे अत्यधिक प्रिय हैं. आपकी टिप्पणी एवं आलोचनाएँ ही मेरी प्रेरणा हैं.
Quite interesting story . Actually the flower is an inverted flower like inside out.The floral parts are inside which are fed by larvae of wasp(insect).
The facts mentioned are amazing and incredible.
overall a very nice writeup.
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