pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

गुलाल

5
4

गुलाल अरी ओ गुलाल अब निकल भी आ महारानी कमरे से बाहर या हर साल की तरह इस साल भी कमरे में ही बंद रहेगी नहीं आने वाला कोई सपनों का राजकुमार तुझे रंग लगाने मां भंवरी देवी ने गुस्से से चिल्लाते हुए ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mukul Tripathi "Baba ji"
    10 मार्च 2023
    गजब
  • author
    आफताब शैख "The poet Aftab"
    25 नवम्बर 2023
    प्रिया - लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा है यार मैं कैसे बताऊँ तुम्हें। रुबीना (प्रिया के हाथ पर हाथ रखते हुए) - ऐ प्रिया मैं जानती हुँ सबकुछ। प्रिया - नहीं रुबीना तुम नहीं जानती हो। रुबीना - मैं सब जानती हुँ तुम प्रियांश के बारे में बात करना चाहती हो ना मुझसे। प्रिया - हां लेकिन तुम्हें कैसे पता किसने बताया तुम्हें? रुबीना - प्रिया मैं सिर्फ़ दोस्त ही नहीं बहन भी हुँ तुम्हारीं। तुम्हारीं आंखो मैं देखकर बता सकती हुँ कि तुम्हारें दिल में क्या चल रहा हैं। प्रिया - ओह रुबीना थैंक्यू यार मुझे इतना समझने के लिए। रुबीना - अब बताओ सब सच सच मुझे कि कहां जा रही हो तुम और क्या बात है। प्रिया - रुबीना मैं राज को डाइवोर्स दे रहीं हुँ और प्रियांश से शादी कर रही हुँ। रुबीना - प्रिया तुम पागल तो नहीं हो गयी हो। होश में तो हो, तुम जानती भी हो तुम क्या कह रही हो। प्रिया - हां रुबीना मैं जानती हुँ और अपने पुरे होश में हुँ। रुबीना - प्रिया मैंने तुम्हें उस दिन भी समझाया था और आज भी समझा रहीं हुँ। देखो रिश्ते बनाना बहुत आसान होता है उन्हें तोड़ना और भी आसान होता है लेकिन रिश्तों को निभाना बहुत मुश्किल होता हैं। जब तुम राज के साथ अपना रिश्ता नहीं निभा पाई जबकि तुमनें उससे लव मैरिज की थी तो फिर प्रियांश जैसे आवारा आदमी के साथ तुम अपना घर अच्छे से बसा लोगी इस बात की क्या ग्यारंटी है। बेवफा बीवी पुरी कहानी पढ़ने के लिए एक बार प्रोफाइल पर जाएं और कहानी पसंद आए तो फॉलो जरुर करें।
  • author
    आवारा
    18 जून 2023
    मैं तो तारीफ करने वाला था की बहुत अच्छी कहानी पर आपने तो आधे रास्ते में ही साथ छोड़ दिया..
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mukul Tripathi "Baba ji"
    10 मार्च 2023
    गजब
  • author
    आफताब शैख "The poet Aftab"
    25 नवम्बर 2023
    प्रिया - लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा है यार मैं कैसे बताऊँ तुम्हें। रुबीना (प्रिया के हाथ पर हाथ रखते हुए) - ऐ प्रिया मैं जानती हुँ सबकुछ। प्रिया - नहीं रुबीना तुम नहीं जानती हो। रुबीना - मैं सब जानती हुँ तुम प्रियांश के बारे में बात करना चाहती हो ना मुझसे। प्रिया - हां लेकिन तुम्हें कैसे पता किसने बताया तुम्हें? रुबीना - प्रिया मैं सिर्फ़ दोस्त ही नहीं बहन भी हुँ तुम्हारीं। तुम्हारीं आंखो मैं देखकर बता सकती हुँ कि तुम्हारें दिल में क्या चल रहा हैं। प्रिया - ओह रुबीना थैंक्यू यार मुझे इतना समझने के लिए। रुबीना - अब बताओ सब सच सच मुझे कि कहां जा रही हो तुम और क्या बात है। प्रिया - रुबीना मैं राज को डाइवोर्स दे रहीं हुँ और प्रियांश से शादी कर रही हुँ। रुबीना - प्रिया तुम पागल तो नहीं हो गयी हो। होश में तो हो, तुम जानती भी हो तुम क्या कह रही हो। प्रिया - हां रुबीना मैं जानती हुँ और अपने पुरे होश में हुँ। रुबीना - प्रिया मैंने तुम्हें उस दिन भी समझाया था और आज भी समझा रहीं हुँ। देखो रिश्ते बनाना बहुत आसान होता है उन्हें तोड़ना और भी आसान होता है लेकिन रिश्तों को निभाना बहुत मुश्किल होता हैं। जब तुम राज के साथ अपना रिश्ता नहीं निभा पाई जबकि तुमनें उससे लव मैरिज की थी तो फिर प्रियांश जैसे आवारा आदमी के साथ तुम अपना घर अच्छे से बसा लोगी इस बात की क्या ग्यारंटी है। बेवफा बीवी पुरी कहानी पढ़ने के लिए एक बार प्रोफाइल पर जाएं और कहानी पसंद आए तो फॉलो जरुर करें।
  • author
    आवारा
    18 जून 2023
    मैं तो तारीफ करने वाला था की बहुत अच्छी कहानी पर आपने तो आधे रास्ते में ही साथ छोड़ दिया..