दिल्ली में जन्म। एम.ए. हिंदी आनर्स व पत्रकारिता का अध्ययन। कैरियर का आरंभ ’चिन्ड्रन्स बुक ट्रस्ट’ से किया तथा यहीं से बाल-लेखन की भी शुरुआत हुई। उसके बाद ’जागरण सखी’, ’मेरी संगिनी’ और ’फोर्थ डी वुमन’ नामक पत्रिकाओ में विभिन्न संपादकीय पदों पर काम किया. पिछले 32 सालों से कहानी, कविता व महिला विषयों तथा बाल-लेखन में संलग्न. ’खाली कलश’, ’ठोस धरती का विश्वास, अग्निदान, एक सपने के सच होना और पीले झूमर नामक कहानी-संग्रह समेत 600 से अधिक कहानियां व 1000 से अधिक लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं. हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन. 150 से अधिक पुस्तकों का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद. पेरेटिंग पर पर दो किताबें प्रकाशित – अपने बच्चे को विजेता बनाएं तथा सफल अभिभावक कैसे बनें. व अन्य पुस्तकें जैसे जैसे मलाला हूं मैं, इंडियन बिजनेस वूमेन, नागालैंड की लोककथाएं भी प्रकाशित हो चुकी हैं. लोककथाओं पर 2 पुस्तकें प्रकाशाधीन.
संप्रतिः स्वतंत्र पत्रकारिता व लेखन व पर्यटन पर लेखन
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