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गुलाब का फूल

4.6
43749

प्यार साथ है तो दुनिया खूबसूरत है, प्यार साथ है तो कुछ भी नामुमकिन नहीं. . एक दूसरे की कमियों को नज़रअंदाज़ कर देने से ज़िन्दगी आसान बन जाती है. थोडा सामंजस्य तुम करो थोड़ा मैं, थोड़ा प्यार तुम करो ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    USHA SINGH
    10 ಆಗಸ್ಟ್ 2020
    कहानी बहुत सुंदर है।पर दुनिया में कितने लड़के हैं जो होने वाली पत्नी के सांवली होने,सफेद दाग चेहरे और शेष बदन पर होने के बावजूद बिना दहेज का विवाह करने को तैयार हो जाएं।सच तो यह है कि इसके लिए उन्हें बिल्कुल दोष नहीं दिया जा सकता।आखिर विवाह से पहले तो पत्नी को पसंद नापसंद करना लड़की का अपमान तो नहीं।आखिर वह उसे पहले से जानता या प्यार तो करता नहीं था। दोष तो कोई तब देगा जब विवाह के बाद कोई अपनी पत्नी को प्यार न करे,उस पर विश्वास न करे। प्रेमचंद की कहानियों की खूबसूरती यह थी के वे आदर्श परिस्थितियां गढ़ते नहीं थे।सामान्य या विपरीत परिस्थितियों में नायक या नायिका को महान बनते दिखाते थे। मुझे निराशा हुई।लेकिन लेखिका की लेखन शैली अच्छी है। अगर कथानक में स्वाभाविक प्रवाह हो तो खूबसूरत कहानियां उनकी कलम से एस सकती हैं।मैं उम्मीद रखे हुए हूं।
  • author
    Arvind Verma
    17 ನವೆಂಬರ್ 2018
    कर्तव्य,प्यार और आपसी समझबूझ का सुंदर तालमेल। भाषा सरल और दिल को छू लेने वाली। संभवतः लेखिका का अंतःकरण भी इतना ही सात्विक होगा, तभी कहानी इतनी हृदयस्पर्शी बन पड़ी है।
  • author
    uday kumar
    17 ನವೆಂಬರ್ 2018
    mam बस इतना ही कहूंगा कि आजतक मैंने प्रतिलिपि पर जितनी भी कहानियां पढीं हैं... किसी की rating मैंने इतनी नहीं दी है...सही में,बहुत ही आसान भाषा में अत्यंत भावनात्मक कहानी।
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    USHA SINGH
    10 ಆಗಸ್ಟ್ 2020
    कहानी बहुत सुंदर है।पर दुनिया में कितने लड़के हैं जो होने वाली पत्नी के सांवली होने,सफेद दाग चेहरे और शेष बदन पर होने के बावजूद बिना दहेज का विवाह करने को तैयार हो जाएं।सच तो यह है कि इसके लिए उन्हें बिल्कुल दोष नहीं दिया जा सकता।आखिर विवाह से पहले तो पत्नी को पसंद नापसंद करना लड़की का अपमान तो नहीं।आखिर वह उसे पहले से जानता या प्यार तो करता नहीं था। दोष तो कोई तब देगा जब विवाह के बाद कोई अपनी पत्नी को प्यार न करे,उस पर विश्वास न करे। प्रेमचंद की कहानियों की खूबसूरती यह थी के वे आदर्श परिस्थितियां गढ़ते नहीं थे।सामान्य या विपरीत परिस्थितियों में नायक या नायिका को महान बनते दिखाते थे। मुझे निराशा हुई।लेकिन लेखिका की लेखन शैली अच्छी है। अगर कथानक में स्वाभाविक प्रवाह हो तो खूबसूरत कहानियां उनकी कलम से एस सकती हैं।मैं उम्मीद रखे हुए हूं।
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    Arvind Verma
    17 ನವೆಂಬರ್ 2018
    कर्तव्य,प्यार और आपसी समझबूझ का सुंदर तालमेल। भाषा सरल और दिल को छू लेने वाली। संभवतः लेखिका का अंतःकरण भी इतना ही सात्विक होगा, तभी कहानी इतनी हृदयस्पर्शी बन पड़ी है।
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    uday kumar
    17 ನವೆಂಬರ್ 2018
    mam बस इतना ही कहूंगा कि आजतक मैंने प्रतिलिपि पर जितनी भी कहानियां पढीं हैं... किसी की rating मैंने इतनी नहीं दी है...सही में,बहुत ही आसान भाषा में अत्यंत भावनात्मक कहानी।