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गुलाब और कांटे

4.6
31

कांटों के बीच खिले गुलाब हर मन को भा जाते हैं लेकिन कांटों की निस्वार्थ त्याग भला किसे नजर आते हैं। कांटे ही तो है जो हर क्षण,हर पल रहते हैं तत्पर सुरक्षा में गुलाब के।। कांटे ही तो है जो सहते ...

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लेखक के बारे में

मैं कोल इंडिया लिमिटेड से सेवानिवृत वरीय प्रबंधक(खनन) हूं। लिखने और पढ़ने का शौक काफी प्रारंभ से ही है। जीवन की छोटी बड़ी घटनाओ को सुक्ष्मता से देखना और उस घटना को बिना छेड़छाड़ के प्रतिलिपि पर लिपिबद्ध करने का प्रयास करता हू।आपलोगो से पढकर उपयुक्त समीक्षा करने की आकांक्षा रखता हू। धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    मन्नू
    07 फ़रवरी 2022
    बहुत सुन्दर
  • author
    Malti Singh
    07 फ़रवरी 2022
    फुल और कांटों के माध्यम से व्यक्ति की सफलता के पीछे लोगों के त्याग और कुर्बानियों को उकेरती हुई भावपूर्ण कविता।
  • author
    Miss "dev"
    07 फ़रवरी 2022
    बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति👌👌👌👌👌👌 💐💐💐💐💐
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  • कुल टिप्पणी
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    मन्नू
    07 फ़रवरी 2022
    बहुत सुन्दर
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    Malti Singh
    07 फ़रवरी 2022
    फुल और कांटों के माध्यम से व्यक्ति की सफलता के पीछे लोगों के त्याग और कुर्बानियों को उकेरती हुई भावपूर्ण कविता।
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    Miss "dev"
    07 फ़रवरी 2022
    बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति👌👌👌👌👌👌 💐💐💐💐💐