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बने शहंशाह लेटे है बाबा, माँ बेचारी सारे काम करती समय से पहले वक़्त के आगे सबको अपना अपना मुक़ाम दिलाती... सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले वह हैं चाय बनाती... सबसे पहले सबको पिलाती बाद मे बची कूची ...

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लेखक के बारे में
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Rohit Zade

“संन्यास” का अर्थ है- “ मृत्यु के प्रति प्रेम ” - सन्यासी लेखक ✍️ साहित्य प्रकाशन - 1. शब्दों का माया जाल ( स्वप्रकाशीत किताब ) 2. गुज़रे लम्हे 3. हुनर जिन्दगी का 4. पथीक का शब्द/ Words of wanderer 5. आखर 6. The first step आदी किताबों मे हमारी रचनाएँ आपको पढ़ने को मिलेंगी।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    प्रेरणा भटनागर
    22 सितम्बर 2020
    👏👏👏👏आपकी एवं सभी माँओं के लिए👏👏👏
  • author
    Seema Ojha
    22 सितम्बर 2020
    बहुत बढ़िया, गृहिणी से ही गृह है👌👌
  • author
    Sangeeta Verma
    22 सितम्बर 2020
    bohot sachchi rachna
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  • author
    प्रेरणा भटनागर
    22 सितम्बर 2020
    👏👏👏👏आपकी एवं सभी माँओं के लिए👏👏👏
  • author
    Seema Ojha
    22 सितम्बर 2020
    बहुत बढ़िया, गृहिणी से ही गृह है👌👌
  • author
    Sangeeta Verma
    22 सितम्बर 2020
    bohot sachchi rachna