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ग्रहण

1782
4.2

मेरी माँ हमेशा डाँटती थी।कहती थी तुम्हे अपने दोस्तों के बारे में सारी बातें पता होनी चाहिये।और मैं उनकी बात समझती ही नही थी।सोचती थी माँ तो बस चिल्लाने का बहाना ढूँढती है। मुझे उन पर बहुत गुस्सा ...