pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

ग्रहण

4.2
1769

मेरी माँ हमेशा डाँटती थी।कहती थी तुम्हे अपने दोस्तों के बारे में सारी बातें पता होनी चाहिये।और मैं उनकी बात समझती ही नही थी।सोचती थी माँ तो बस चिल्लाने का बहाना ढूँढती है। मुझे उन पर बहुत गुस्सा ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

अपनी ही दुनियाँ में मस्त अपनी ही पहचान की तलाश में निकली बस मंजिल की तलाश है

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Yashpal
    11 December 2017
    इस दुनिया में है ही कोन अच्छा ?? जिनको गलत या बुरा संबोधित किया जाता है असल में वो ही दूसरों से बेहतर सोच रखने वाले होते हैं।।
  • author
    26 September 2017
    माँ बाप भी तो बच्चों का भला ही चाहते हैं .. अगर वो कुछ समझा रहे हैं ,तो समझना चाहिए..
  • author
    27 July 2017
    sahi kaha dosti soch samjh ke or achhe logo se hi karni chahiye
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Yashpal
    11 December 2017
    इस दुनिया में है ही कोन अच्छा ?? जिनको गलत या बुरा संबोधित किया जाता है असल में वो ही दूसरों से बेहतर सोच रखने वाले होते हैं।।
  • author
    26 September 2017
    माँ बाप भी तो बच्चों का भला ही चाहते हैं .. अगर वो कुछ समझा रहे हैं ,तो समझना चाहिए..
  • author
    27 July 2017
    sahi kaha dosti soch samjh ke or achhe logo se hi karni chahiye