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गुड लक

4.6
14132

ऑफ़िस से रचना आज कुछ जल्दी लौट आई. जाने किस बात पर झल्लाई हुई लगातार बोलती जा रही थी-" यू नो लवी, ये साले मर्द.. इनकी ज़ात ही ऐसी होती है.. कमीने..." मैंने उसे शांत करने के कहा-" आखिर बात क्या है ...

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लेखक के बारे में

शिक्षा: एम.ए. (इतिहास) सम्प्रति: सहायक अध्यापक (बेसिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश) ©सर्वाधिकार सुरक्षित

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ankita Dewan
    20 ஜூன் 2018
    बहुत अच्छी कहानी हर औरत को अपने बारे में सोचने का पूरा पूरा हक़ है..आखिर यह समाज सिर्फ मर्दो का नहीं है.सारी औरतो ko aisa hi kadam uthana chaiye.
  • author
    Lekha Chaudhary
    26 ஜூன் 2018
    awesome ... बहोत अच्छा किया नेहा ने अंकित के साथ केरला जाके , सही बात है ,हमारे पास भी एक ही ज़िन्दगी है और हमे भी अपने बारे में सोचने का पूरा अधिकार है । 👍👍
  • author
    Garima Rani
    12 நவம்பர் 2018
    sahi faisla liya...👍
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    Ankita Dewan
    20 ஜூன் 2018
    बहुत अच्छी कहानी हर औरत को अपने बारे में सोचने का पूरा पूरा हक़ है..आखिर यह समाज सिर्फ मर्दो का नहीं है.सारी औरतो ko aisa hi kadam uthana chaiye.
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    Lekha Chaudhary
    26 ஜூன் 2018
    awesome ... बहोत अच्छा किया नेहा ने अंकित के साथ केरला जाके , सही बात है ,हमारे पास भी एक ही ज़िन्दगी है और हमे भी अपने बारे में सोचने का पूरा अधिकार है । 👍👍
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    Garima Rani
    12 நவம்பர் 2018
    sahi faisla liya...👍