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गिरिजा टिक्कू

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मैं लिखना चाहती थी उस पर… जब तुम….       पिता की प्यारी बेटी थी उन्मुक्त तितली बन उड़ती थी…. पर…. अब लिखना है   उस दर्द पर.. लेखन क्षमता जो     मुझ में नहीं है... पीड़ा को तुम्हारी           ...