*मेरा कोई स्थायी ठीकाना नहीं है क्योंकि यात्रीचर हूँ। पेशे से शिक्षक, दिल-दिमाग से घुम्मकड़, शौक पढ़ने का है। जूनून पेड़-पौधों को रोपने का है। पागलपन, गाँव-गाँव की पगडंडियों को जोत लेने की है। गुमनाम साहित्यकारों के दहलीज पर पहुँचना और ज़ोर-ज़ोर से सांकल खटखटाना है। आदत से एकदम फक्कड़ हूँ।*
उपरोक्त सबके बावजूद दक्षिणी दिल्ली के जंगलों में स्थायी निवास है।
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रिपोर्ट की समस्या
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