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❤घूंघट की आड़ में हुस्न ....

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कुसूर नहीं तेरी निगाहों का. इसमें काजल मैंने तेरे ही लिए सजाया है... मेरी जुल्फ का कसूर नहीं जिसने तुझे मेरा दीवाना बनाया है. इसे मैंने ही तेरे लिए सजाया है. घूंघट में छुपा कर रखतीं हूँ हुस्न ...

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लेखक के बारे में
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𝐌@💛𝐍🍂𝐔

मैं क्या लिख सकती हूँ अपने बारे में..! आप सब पाठकजन और लेखकजन ने ही मुझे प्रोत्साहन दिलवाया है। जिसमें लेखिका प्रिया भारद्वाज जो मुझे प्रतिलिपि में लाईं और लिखने सिखाया, और दूसरी लेखिका अंबिका झा उन्होंने भी मेरी बहुत ही मदद की यहाँ तक पहुंचने के लिए। आप सभी की बहुत ही आभारी हूँ, और बहुत बहुत धन्यवाद आप सब पाठकजन और लेखकजन को मेरा। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏Manu✍🏻

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    पापिया मुखर्जी
    27 अक्टूबर 2021
    🏵️ बहुत बढ़िया प्रस्तुति 🏵️
  • author
    Shiv Shankar
    29 अक्टूबर 2021
    ⭐⭐⭐⭐⭐💖
  • author
    27 अक्टूबर 2021
    वाह बहुत खूब
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    पापिया मुखर्जी
    27 अक्टूबर 2021
    🏵️ बहुत बढ़िया प्रस्तुति 🏵️
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    Shiv Shankar
    29 अक्टूबर 2021
    ⭐⭐⭐⭐⭐💖
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    27 अक्टूबर 2021
    वाह बहुत खूब