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घी ,मक्खनऔर गोलमाल

4.7
725

आज शर्मा निवास खुशियों से चहक रहा था और घर भरा हुआ था अरमानों से| होता भी क्यों न? आज घर की सबसे छोटी बहू पहली रसोई जो बना रही थी। इसके बाद तो ये पल अब आने वाली पीढ़ियों के नाम ही होने वाला था| ...

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लेखक के बारे में
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Sumitaa Sharma

सूरज हूँ जिन्दगी की रमक छोड़ जाऊँगा, मैं डूब भी गया तो चमक छोड़ जाऊँगा

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    26 ജൂലൈ 2022
    अति सुन्दर रचना एकदम नई और अछूती।। "शिवा"
  • author
    chandna
    30 ജൂണ്‍ 2022
    55 ke bad bachpan ata hai 🤣
  • author
    Manish Sharma
    14 മെയ്‌ 2023
    बहुत शानदार रचना है।
  • author
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  • author
    26 ജൂലൈ 2022
    अति सुन्दर रचना एकदम नई और अछूती।। "शिवा"
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    chandna
    30 ജൂണ്‍ 2022
    55 ke bad bachpan ata hai 🤣
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    Manish Sharma
    14 മെയ്‌ 2023
    बहुत शानदार रचना है।