आज दिख रहा गर होश में तो मानो यार की आगोश कहाँ, जिंदगी के किसी भी कोने में जीने का कोई जोश कहाँ। जब मदहोशी ना पी झाँककर उसकी आँखों में मैंने तो, आया मैं मयखानों से ही पीकर पर देखो मैं मदहोश कहाँ। ...
ग़ज़ल पढ़ना और उनमें शब्दों को पिरोने की कारीगरी मेरे दिल को सुकून पहुँचाती है । मैं भी कोशिश करता हूँ लेकिन ये हुनर मुझे पूरी तरह से आया नहीं है । रचनाएं, कहानियाँ, कविताएं पढ़ना बहुत अच्छा लगता है ।
सारांश
ग़ज़ल पढ़ना और उनमें शब्दों को पिरोने की कारीगरी मेरे दिल को सुकून पहुँचाती है । मैं भी कोशिश करता हूँ लेकिन ये हुनर मुझे पूरी तरह से आया नहीं है । रचनाएं, कहानियाँ, कविताएं पढ़ना बहुत अच्छा लगता है ।
रिपोर्ट की समस्या
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