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ग़ज़ल 1222 1222 122

4.4
135

🌺 वज़्न-- 1222 1222 122 🌺 अर्कान -- मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन 🌺 बह्र --  बह्रे-हज़ज मुसद्दस महज़ूफ़ साहब जी जिधर हम है उधर कोई नहीं है शहर  में है -खबर कोई  नहीं है करोना से कहो जा के भी कोई लगे  हैं  ...

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लेखक के बारे में
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Dinesh verma jatthap Jatthap

मैं सतपुड़ा की तलहटी में ,इंद्रावती नदी के तट पर बसा वनांचल गांव बिस्टान से तालुक रखता हूँ ।जीवन में हर एक की ख्वाईश होती है।मेरी भी है।ऊंचाइयां भले ही न मिले।पर दिलों में सदियों तक जिन्दा रहूं।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    meenakshi rohatgi
    06 अक्टूबर 2020
    बा-क़माल ग़ज़ल हुई आपकी👌👌👏👏💐💐
  • author
    Surbhi Sharma
    04 जुलाई 2024
    👏👏
  • author
    आलोक मित्तल
    28 जुलाई 2020
    बहुत सुन्दर ग़ज़ल
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  • author
    meenakshi rohatgi
    06 अक्टूबर 2020
    बा-क़माल ग़ज़ल हुई आपकी👌👌👏👏💐💐
  • author
    Surbhi Sharma
    04 जुलाई 2024
    👏👏
  • author
    आलोक मित्तल
    28 जुलाई 2020
    बहुत सुन्दर ग़ज़ल