बहर.....122 122 122 122 मुरादों की महफ़िल, सजाना नहीं है रफ़ाक़त की दुनियाँ, बसाना नहीं है 🌿🔵🟣🌿 दिया है किसी ने, मुझे दर्द इतना, अभी तक उसी का, ठिकाना नहीं है 🌿🔵🟣🌿 जहाँ से गुज़रती , ...
एक श्रेष्ठ कवि के गुण....
रचनाकार...
रचना प्रस्तुत करने का ढंग....
आवाज की बुलंदी...
स्वरो का ज्ञान....
मै सिर्फ एक रचनाकार हूँ, कवि नहीं....
रौशनी करता हूँ इक "दीये" की तरह, रवि नहीं...
बनारस की माटी...
मेरा जन्मभूमि एवम् कर्मभूमि...
मिलती नहीं है शोहरत, परवाह ना कोई है,
मिल जाये स्नेह थोड़ा, बस चाह तो यही है...
धन्यवाद..
सारांश
एक श्रेष्ठ कवि के गुण....
रचनाकार...
रचना प्रस्तुत करने का ढंग....
आवाज की बुलंदी...
स्वरो का ज्ञान....
मै सिर्फ एक रचनाकार हूँ, कवि नहीं....
रौशनी करता हूँ इक "दीये" की तरह, रवि नहीं...
बनारस की माटी...
मेरा जन्मभूमि एवम् कर्मभूमि...
मिलती नहीं है शोहरत, परवाह ना कोई है,
मिल जाये स्नेह थोड़ा, बस चाह तो यही है...
धन्यवाद..
खता कर गया है, जुदाई वो देकर ,,,
नहीं मानता गर ,मनाना नहीं है ,,,,व्वाह
बहुत खूब !!
खता करनेवालों की खैर नहीं तथा उन्हें माफी नहीं अब तो।
हर बार की तरह भावस्पर्शी लाजवाब पेशकश ।
हर पंक्ति से जुड़ा भाव बेहद उम्दा तथा दमदार,,,,,जो अपनी स्वाभिमान की जान से भी ज्यादा हिफ़ाज़त करता हो।
बहूत ही शानदार,,,,काबिल ए तारीफ सर्वोत्कृष्ट ग़ज़ल।
रिपोर्ट की समस्या
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खता कर गया है, जुदाई वो देकर ,,,
नहीं मानता गर ,मनाना नहीं है ,,,,व्वाह
बहुत खूब !!
खता करनेवालों की खैर नहीं तथा उन्हें माफी नहीं अब तो।
हर बार की तरह भावस्पर्शी लाजवाब पेशकश ।
हर पंक्ति से जुड़ा भाव बेहद उम्दा तथा दमदार,,,,,जो अपनी स्वाभिमान की जान से भी ज्यादा हिफ़ाज़त करता हो।
बहूत ही शानदार,,,,काबिल ए तारीफ सर्वोत्कृष्ट ग़ज़ल।
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