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घर को आग लग गई घर के ही चिराग से

4.8
18

पिता थे उसके ईमान, ईमानदारी थी उनकी पहचान, पैसों की तंगी रहती थी, भाई बहन थे वो सात, पिता दे सके थे शिक्षा, और... आदर्श थे शिक्षक करते क्या पर! बेटे की नजरों में थीं, यह सब बकवास -- पैसों की तंगी ...

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लेखक के बारे में

मैं एक लेखक और कवि हूँ कोलकाता से हूँ हिन्दी मे एम. ए हूँ और एक गृहणी हूँ l

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ashok Sharma
    03 ಫೆಬ್ರವರಿ 2021
    जब कोई आदर्श मुल्यहीन होने लगती है तब समाज, परिवार दुर्घटनाओं के शिकार होता है, पिता, भाई, सब अपने जगह ठीक थे फर्क यही था कोई वक्त से पहले और कोई वक्त से पीछे जिसका परिणाम परिवार भोग रहा था
  • author
    Dr.Aradhana Neekhara
    02 ಫೆಬ್ರವರಿ 2021
    घर को आग लग गई घर के चिराग से।
  • author
    02 ಫೆಬ್ರವರಿ 2021
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति सार्थक हृदय भाव
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    Ashok Sharma
    03 ಫೆಬ್ರವರಿ 2021
    जब कोई आदर्श मुल्यहीन होने लगती है तब समाज, परिवार दुर्घटनाओं के शिकार होता है, पिता, भाई, सब अपने जगह ठीक थे फर्क यही था कोई वक्त से पहले और कोई वक्त से पीछे जिसका परिणाम परिवार भोग रहा था
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    Dr.Aradhana Neekhara
    02 ಫೆಬ್ರವರಿ 2021
    घर को आग लग गई घर के चिराग से।
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    02 ಫೆಬ್ರವರಿ 2021
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति सार्थक हृदय भाव