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घर की मुर्गी दाल बराबर

4.8
74

***अखिर कब तक***           ****************** *****घर की मुर्गी दाल बराबर** आपको पता है कौन होती है?? सोचो ? एक नारी??जिसका अपना कोई अस्तित्व नहीं होता,कितना भी अच्छा करने की कोशिश करे ?लेकिन उस ...

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लेखक के बारे में
author
Ekta Singh

नई पहचान बनाने की आदत है। ज़ख्म गहरे हैं फ़क़त, मुस्कराने की आदत है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Madhu Arora
    25 अगस्त 2022
    बहुत सही कहा आपने कितना भी कर लो औरत का करा हुआ काम किसी को दिखता ही नहीं चाहे बीमार हो या सही हो मानो जैसे घर संभालने की उसी की सारी जिम्मेदारी है
  • author
    25 अगस्त 2022
    सहमत हूँ आपकी बात और कहानी से, आज भी मेरे जानने में जानने में जाने कितने घर हैं जहाँ ऐसी ही कहानी चलती है👌🏻👌🏻🙏🏻🙏🏻
  • author
    Saral Pathak "Saral"
    26 अगस्त 2022
    suru se aajtak ki tamam paresani hamara ghatiya samaj hi hai
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    Madhu Arora
    25 अगस्त 2022
    बहुत सही कहा आपने कितना भी कर लो औरत का करा हुआ काम किसी को दिखता ही नहीं चाहे बीमार हो या सही हो मानो जैसे घर संभालने की उसी की सारी जिम्मेदारी है
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    25 अगस्त 2022
    सहमत हूँ आपकी बात और कहानी से, आज भी मेरे जानने में जानने में जाने कितने घर हैं जहाँ ऐसी ही कहानी चलती है👌🏻👌🏻🙏🏻🙏🏻
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    Saral Pathak "Saral"
    26 अगस्त 2022
    suru se aajtak ki tamam paresani hamara ghatiya samaj hi hai