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घड़ा

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शीतल जल से घड़ा भरा है, बूँद-बूँद कर नीर झरा हैं, सौंधा-सौंधा मीठा पानी, गर्मी में अमृत सा पानी। कुंभकार ने इसे बनाया, ठोक-ठोक कर गोल घुमाया, मिट्टी के कण-कण को जोड़ा, इक कलश के रूप में ...

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लेखक के बारे में
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vinod d
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Kanh a
    26 मार्च 2023
    Superb 👌 🌺
  • author
    25 मार्च 2023
    सुन्दर बाल लेखन🌹🌹
  • author
    Blackk Y
    25 मार्च 2023
    Amazing 👏 🙀 👪
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Kanh a
    26 मार्च 2023
    Superb 👌 🌺
  • author
    25 मार्च 2023
    सुन्दर बाल लेखन🌹🌹
  • author
    Blackk Y
    25 मार्च 2023
    Amazing 👏 🙀 👪