pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

गीत / ताटक छंद

5
21

इस गीत मैं विरहिणी नायिका के दर्द को बताने की कोशिश की गई है ।

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Vinay Jain 'Anand'

जो नहीं था पास मेरे नाम वो अपना लिया दुख भरे जीवन में यूँ "आनन्द' देखो पा लिया विनय जैन "आनन्द' विनय जैन "आनन्द' विनय जैन S/O राजेन्द्र जी जैन, पालोदा- बांसवाड़ा ( राज. ) माता - शुशीला देवी बहनें - डिंपल, हर्षिता, मेघा 9460245606

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Poonam Kaparwan pikku
    09 जनवरी 2020
    विरहन की मारी प्रेयसी और प्रतीक्षारत स्वामी की ।सखियों का चिढ़ाना वाह बेहतरीन रस का प्राकट्य स्वरूप ।आपका ये एक माधुर्य रस अतुलित
  • author
    SHAILENDRA DUBEY
    09 जनवरी 2020
    विरहाग्नि में जलती नायिका की करुण क्रंदन!!!बहुत ही सुंदर रचना!!!👌👌👌👌👌💐💐💐
  • author
    09 जनवरी 2020
    वाह अति सुन्दर..दर्द और प्रतीक्षा को शब्दों में बखूबी पिरोया है👌👌
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Poonam Kaparwan pikku
    09 जनवरी 2020
    विरहन की मारी प्रेयसी और प्रतीक्षारत स्वामी की ।सखियों का चिढ़ाना वाह बेहतरीन रस का प्राकट्य स्वरूप ।आपका ये एक माधुर्य रस अतुलित
  • author
    SHAILENDRA DUBEY
    09 जनवरी 2020
    विरहाग्नि में जलती नायिका की करुण क्रंदन!!!बहुत ही सुंदर रचना!!!👌👌👌👌👌💐💐💐
  • author
    09 जनवरी 2020
    वाह अति सुन्दर..दर्द और प्रतीक्षा को शब्दों में बखूबी पिरोया है👌👌