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ग़ज़ल

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4.7

बहुत शहरी से क्यों लगते हो तुम, अपना गाँव कहीँ जंगल में छुपाया होगा तुमने । ये बुलंदी तुम्हारे आशियाने की कहती है झोपड़ियों को बहुत गहरे दबाया होगा तुमने l कत्ल करो या कातिल कहे जाओ, पाक साफ हो, ...