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गजल

4.7
583

ख्वाब आँखों में ,सदा पलते है क्यूँ, दिल में जो बैठे ,वही छलते है क्यूँ.. रिश्तों को सींचा हो, बेशक खून से, नफ़रतों के बीज फिर फलते है क्यूँ राह में कांटे हे ,मुश्क़िल मंजिले , हौसला खोकर भला,चलते है ...

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लेखक के बारे में
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नेहा नाहटा
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    30 अक्टूबर 2018
    बहुत अच्छा लिखा है आपने, बस "दम" को "दम्भ" एवं "ईश्क" को "इश्क" कर लिजिये।
  • author
    आशुतोष
    23 सितम्बर 2019
    बहुत बढ़िया लिखा आपने। धन्यवाद।💐💐
  • author
    Vikash Kumar
    13 जून 2018
    very very nice poem ma'm
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    30 अक्टूबर 2018
    बहुत अच्छा लिखा है आपने, बस "दम" को "दम्भ" एवं "ईश्क" को "इश्क" कर लिजिये।
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    आशुतोष
    23 सितम्बर 2019
    बहुत बढ़िया लिखा आपने। धन्यवाद।💐💐
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    Vikash Kumar
    13 जून 2018
    very very nice poem ma'm