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ग़ज़ल

4.0
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बेशक अपना दुःख मत कह लेकिन यूँ भी चुप मत रह आग उगल दे लफ़्ज़ों में भीतर भीतर यूँ मत दह ज़ख्म तेरे कहते हैं तुझसे ज़ुल्म किसी के यूँ मत आप सहारा बन अपना और किसी की बांह मत गह सीधे सादे शेर मेरे मानी तह दर ...

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लेखक के बारे में

जन्म हांसी हिसार शिक्षा स्नातकोत्तर ,सम्प्रति भा जी बी निगम में अधिकारी कृतिया पलकों पर रखे स्वप्न फूल , दिल के मौसम , यादें , स्त्री होने के मायने , आवाज़ में उतरती दुनिया , काव्य संग्रह प्रकाशित , इस तरह से भी … लघुकथा संग्रह, मैं आज़ाद हूँ। …व्यंग्य संग्रह प्रकाशित , विभिन्न राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित वूमन अचीवर अवार्ड ऑफ़ हरयाणा सम्मान द्वारा श्रीमती आशा हुड्डा द्वारा सम्मान्नित , सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान से सूरीनाम के राजदूत द्वारा सम्मानित ,युवा कविता सम्मान , अचलेश्वर महामंडल बनारस द्वारा !सम्मान्नित

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  • author
    nikhil
    15 फ़रवरी 2017
    nice
  • author
    दीप 'शायर'
    15 फ़रवरी 2017
    awsome
  • author
    Mukesh Kumar Singh
    13 जून 2017
    wah
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    nikhil
    15 फ़रवरी 2017
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    दीप 'शायर'
    15 फ़रवरी 2017
    awsome
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    Mukesh Kumar Singh
    13 जून 2017
    wah