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गजल

3.4
708

बात टलती रह गयी हर बार ही इतवार पर कर सके कैसे भरोसा आदमी संसार पर।1 बेरहम-सी बह गयी कल की हवा है आज भी रह गया मन मारकर फिर आदमी पुचकार पर।2 शोखियों का रंग चढ़ता है कली पर रोज ही फूल की ख्वाहिश पली ...

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लेखक के बारे में
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मनन सिंह
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jai Sharma
    16 सितम्बर 2023
    राधे राधे मनन जी बहुत बढ़िया जी
  • author
    29 जून 2022
    अच्छी गजल है, बहुत बधाई 💐
  • author
    28 अप्रैल 2018
    अच्छी रचना है
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    Jai Sharma
    16 सितम्बर 2023
    राधे राधे मनन जी बहुत बढ़िया जी
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    29 जून 2022
    अच्छी गजल है, बहुत बधाई 💐
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    28 अप्रैल 2018
    अच्छी रचना है