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गजल

4.2
621

जो मेरी ज़िन्दगी की राह में आया वो मंज़र किसने देखा है, जहां मैंने चुने अनमोल मोती, वो समुन्दर किसने देखा है. जिसे दिल में जगह दी, आशियाने को वही बरबाद करता है, चलाया जो मेरे जज़्बात पे क़ातिल ने ...

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लेखक के बारे में

Former Broadcast Journalist at Ex Employers: BBC and Department of Work and Pension, UK Studied MA Sanskrit at DAV College, Kanpur

समीक्षा
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  • author
    17 दिसम्बर 2018
    बहुत-बहुत बधाई और शुक्रिया इतना अच्छा लिखने के लिए
  • author
    15 जून 2021
    अच्छी रचना
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    17 दिसम्बर 2018
    बहुत-बहुत बधाई और शुक्रिया इतना अच्छा लिखने के लिए
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    15 जून 2021
    अच्छी रचना